बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं की त्वचा हो सकती है रूखी।
>शरीर पर पके हुए लाल रंग के घाव जैसे भी दिखाई दे सकते हैं।
>प्रसव के बाद महिलाओं के दांतों की चमक हो जाती है कम।
>मांसपेशियां कमजोर होने से कमर व कूल्हों में हो सकता है दर्द।
जैसे कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में शारीरिक और मानसिक परिवर्तन होते हैं ठीक उसी प्रकार प्रसव के बाद भी महिला के शरीर में कई बड़े बदलाव आते हैं, विशेषकर पहले हफ्ते में। आइये जानें कि प्रसव के बाद महिलाओं को किन शारीरिक व मानसिक परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है।
प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में बदलाव होना स्वाभाविक है। कुछ महिलाएं गर्भधारण के शुरूआत से ही अपना पूरा ख्याल रखती हैं, ऐसी महिलाओं के शरीर में प्रसव के बाद काफी कम बदलाव होते हैं। कई बार ऐसा लगता है कि यह महिला गर्भवती हुई ही नहीं थी। जबकि कई महिलाओं के शरीर में काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिलते हैं। फिर भी आमतौर पर प्रसव के बाद महिलाओं के शरीर में छोटे-छोटे बदलाव तो जरूर होते हैं।
प्रसव के बाद होने वाले बदलाव-
त्वचा में बदलाव
बच्चे के जन्म के बाद जिन महिलाओं की त्वचा रूखी होती है, उनकी त्वचा पहले से और भी अधिक रूखी हो जाती है। गर्भावस्था में स्तन, पेट और जांघों की त्वचा खिंच जाती है। इस खिंचाव के कारण महिलाओं के शरीर की त्वचा पर हल्के रंग के दाग दिखाई पड़ने लगते हैं।
वजन बढ़ना
गर्भावस्था की अवधि के दौरान लगभग सभी महिलाओं का वजन बढ़ जाता है। प्रसव के बाद भी महिलाओं का वजन अधिक ही बना रहता है। अधिक चिकनाईयुक्त भोजन करने, मेवे आदि के सेवन के कारण महिलाओं का भार बढ़ता चला जाता है। जिन महिलाओं का वजन अधिक होता है। उनके शरीर पर पके हुए लाल रंग के घाव दिखाई पड़ने लगते हैं। शरीर के वजन को कम करने के लिए किसी विशेषज्ञ की देखरेख में व्यायाम करना चाहिए।
बालों का झड़ना
बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं के सर के बालों का टूटना, पतला होना, बालों का सफेद होना, बालों का न बढ़ना जैसी परेशानियां आम बात है। आमतौर पर यह खुद ही ठीक हो जाते हैं। इस समस्या से बचने के लिए पौष्टिक आहार लें और बालों की उचित देखभाल करें।
दांतों में परेशानी
प्रसव के बाद महिलाओं के दांतों की चमक कम हो जाती है। दांतों में दरारे, दांतों में छेद, मसूड़ों का सूजना एवं मवाद का आना आदि समस्याएं भी उत्पन्न हो जाती है।
स्तनों में बदलाव
गर्भावस्था में लगातार हार्मोन्स में परिवर्तन के कारण महिलाओं के स्तन भारी और बड़े हो जाते हैं। ऐसे में अगर स्तन की ठीक प्रकार से देखभाल न की जाए, तो इनका आकार बदल जाता है। एक बार स्तन ढीले या लटक जाने पर दोबारा पहले जैसे नहीं हो पाते हैं। युटेरस (गर्भाशय) में भी दर्द महसूस हो सकता है। खासकर स्तनपान कराते समय यह दर्द शुरू हो सकता है, क्योंकि स्तनपान कराने से युटेरस सिकुड़ने लगता है। स्तनों में दर्द भी महसूस हो सकता है। प्रसव के पश्चात स्तनों का आकार भी बढ़ जाता है। प्रसव के दूसरे या तीसरे दिन से आकार बढ़ना शुरू हो जाता है, जो थोड़ा असुविधाजनक हो सकता है।
पैरों में बदलाव
महिलाओं में प्रसव के बाद शरीर के लिंगामेंट मांसपेशियों तथा दो हड्डियों के बीच बांधने वाली नलिकाएं ढीली हो जाती है, जिससे पैरों के आकार में परिवर्तन हो जाता है। प्रसव के बाद हड्डियों का आकार बदल जाता है। इस कारण महिलाओं के चाल में भी परिवर्तन आ जाता है। इसकी वजह से कमर तथा कूल्हों में दर्द भी रहता है।
पैरानियम
पैरानियम वह जगह होती है जहां प्रसव होने के बाद महिलाओं को टांके लगाये जाते हैं। टांकों के दाग तथा मांसपेशियों का मोटापन और दर्द कुछ दिनों तक बना रहता है। धीरे-धीरे समय बीतने और व्यायाम करने पर टांकों का दर्द समाप्त हो जाता है।
बच्चेदानी के आकार का बढ़ना
महिलाओं में प्रसव के बाद बच्चेदानी भी पहले की तुलना में बड़ी और मोटी हो जाती है। लगभग 6 महीने तक अधिक रक्तस्राव तथा अधिक समय तक मासिक स्राव होने के बाद धीरे-धीरे बच्चेदानी का आकार सामान्य हो जाता है। यह हार्मोन्स के बदलाव के कारण होता है।
वेजाइनल डिस्चार्ज
प्रसव के कुछ हफ्तों बाद तक वेजाइनल डिस्चार्ज होता है। शुरुआत में यह डिस्चार्ज लाल रंग का होता है। फिर कुछ दिनों के बाद यह भूरे-गुलाबी रंग का होने लगता है। धीरे-धीरे यह रंग हल्का होता चला जाता है। अपको इस दौरान सेनिटरी टॉवेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
मानसिक बदलाव
कई बार प्रसव के बाद महिलाओं को रोने का मन करता है। या कई अलग-अलग तरह के विचार दिमाग में आते हैं। यह शरीर में हुए हार्मोनल बदलाव के कारण हो सकता है।
जरूरी नहीं कि आपको उपरोक्त में से हर किसी बदलाव से होकर गुजरना ही पड़े। हो सकता है कि आपमें कुछ ही बदलाव हों। इस लिए धीरज से काम लें और मां बनने के अनुभव का पूरा आनंद लें। साथ ही समय-समय पर डॉक्टर से जांच करती रहें।