अभी तक यह माना जाता था कि जब बात शारीरिक संबंधों की आती है तो उसमें महिलाओं को शालीन करार देकर पुरुषों के मुकाबले पीछे धकेल दिया जाता है. इसके पीछे यह आधार दिया जाता है कि सेक्स संबंधों में सबसे ज्यादा दिलचस्पी पुरुषों की होती है जबकि महिलाएं सिर्फ उनका सहयोग करती हैं. ऐसा माना जाता रहा है कि महिलाओं के भीतर सेक्स की इच्छा का स्तर बहुत कम होता है इसीलिए वह केवल अपने साथी की खुशी के लिए ही शारीरिक संबंध बनाती हैं.
लेकिन समय के साथ-साथ धारणाओं और मानसिकता में बदलाव लाना भी जरूरी होता है इसीलिए अगर अब तक आप महिलाओं के विषय में ऐसी ही धारणा रखते थे तो आपको अपडेट होने की आवश्यकता है, क्योंकि हाल ही में हुआ एक अध्ययन कुछ और ही बयां कर रहा है.
यूकेमेडिक्स द्वारा संपन्न एक ऑनलाइन अध्ययन के अनुसार दुनियाभर के पुरुष अपनी महिला साथी की अपेक्षा सेक्स में फिसड्डी साबित हो रहे हैं और महिलाएं अपने पुरुष साथी पर भारी पड़ रही हैं, जबकि पहले शारीरिक संबंधों के मामले में हमेशा पुरुष ही आगे रहते थे.
इस अध्ययन में दुनिया के विभिन्न देशों ने भाग लिया जिसमें यह प्रमाणित हुआ कि लगभग 62 प्रतिशत पुरुष अपनी महिला साथी की अपेक्षा सेक्स के मैदान में पिछड़ते जा रहे हैं. उल्लेखनीय है कि सर्वे में शामिल हर तीसरे पुरुष का कहना था कि उनकी सेक्स करने की इच्छा में कमी आने लगी है, जिसकी वजह से वह हर समय सेक्स ना करने के बहाने तलाशते रहते हैं.
वहीं एक अन्य सर्वेक्षण के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि पुरुषों में यौन संतुष्टि का आंकड़ा 38 से घटकर 27 रह गया है. इतना ही नहीं एक बेहद चौंकाने वाला तथ्य कि 4 में से एक पुरुष अपनी महिला साथी के साथ सेक्स कर ही नहीं रहा, भी इस अध्ययन की स्थापनाओं में प्रमाणित किया गया है. सर्वेक्षण के अनुसार पुरुषों में कम हो रही सेक्स की इच्छा के कारण दंपत्तियों के आपसी संबंधों में दूरी आने लगी है और महिलाओं में सेक्स के प्रति इसी असंतुष्टि के कारण तलाक के मामलों में बढ़ोत्तरी होने लगी है.
भारतीय परिदृश्य के अनुसार अगर उपरोक्त अध्ययन पर नजर डाली जाए तो एक बड़ा और उल्लेखनीय तथ्य जो हमारे सामने आता है वो यह कि विभिन्न व्यक्तियों में सेक्स की इच्छा का स्तर भी अलग-अलग होता है और सेक्स से जुड़ी उत्तेजना के स्तर को सेक्स ड्राइव से जोड़कर देखा जाता है. अगर कोई व्यक्ति मानसिक या शारीरिक रूप से स्वस्थ नहीं है या दबाव महसूस करता है तो उसकी सेक्स ड्राइव कमजोर पड़ने लगती है जिसके परिणामस्वरूप धीरे-धीरे वह स्वयं ही सेक्स से दूरी बना लेता है और यह कब हो जाता है उसे पता भी नहीं चलता. पारिवारिक जिम्मेदारियों, काम के दबाव में आकर जाहिर सी बात है पुरुष मानसिक रूप से कमजोर पड़ जाता है या केवल सेक्स ही उसकी प्राथमिकता नहीं रह जाती. वैसे भी एक उम्र के बाद तो सेक्स में दिलचस्पी कम हो ही जाती है. लेकिन महिलाओं का सेक्स संबंधों में बाजी मार लेने जैसी बात कम से कम भारतीय महिलाओं के विषय में नहीं कही जा सकती क्योंकि आज भी कहीं ना कहीं उनमें शालीनता देखी जा सकती है. भले ही वह बोल्ड और मॉडर्न हो रही हों लेकिन सेक्स के मामले में अपने पुरुष साथी से आगे निकलना, यह स्वभाव वर्तमान समय के अनुसार तो ठीक नहीं कहा जा सकता. हालांकि अपवाद हर जगह होते हैं लेकिन सार्वभौमिक तौर पर इस पर एकमत नहीं हुआ जा सकता.